ये ताजमहल ये लालकिला, ये जितनी भी तामीरें हैं,
जिन पर इतराते फिरते हो, सब पुरखों की जागीरें हैं!!
जब माँगा वतन ने खून, बदन का सारा लहू निचोड़ दिया,
अफ़सोस मगर इतिहास ने ये, किस मोड़ पे लाके छोड़ दिया !!

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